Saturday, October 10, 2009

Mamoor ho raha hai aalam mein noor tera - Kalaam Hazrat Shah Niaz (R.A.)


मामूर हो रहा है आलम में नूर तेरा
अज़ माह ताब माहि,सब है ज़हूर तेरा

इसरार-ए-अहमदी से आगाह हो सो जाने
तू नूर हर शरार है,हर संग-ए-तूर तेरा

हर आँख तक रही है तेरे ही मुहँ को प्यारे
हर कान में हूँ पाता,शोर-ए-ज़हूर तेरा

जब जी में ये समाया जो कुछ है सो तू है
फिर दिल से कब दूर हो कुर्ब-ओ-हज़ूर तेरा

भाता नहीं है वाइज़ जुज़ दीद-ए-हक़ मुझे कुछ
तुझको रहे मुबारक हूर-ओ-क़सूर तेरा

वहदत के हैं ये जलवे नक्श-ओ-निगार कुसरत
गर सिर्र-ए-मरिफत को पावे शऊर तेरा

गर हर्फ़-ए-बेनियाज़ी सरज़द 'नियाज़' से हो
पुतले में ख़ाक के है,प्यारे गुरूर तेरा


English Transliteration:

Mamoor ho raha hai aalam mein noor tera.
Az maah taab mahi,sab hai zahoor tera.

Israar-e-Ahmadi se aagaah ho so jaaney,
Tu noor-e-har sharar hai,har sang-e-toor tera.

Har aankh tak rahi hai tere hi munh ko pyaare,
Har kaan mein hoon paata,shor-e-zahoor tera.

Jab ji mein ye samaaya ki jo kuch hai so tu hai,
Phir dil se kab door ho,qurb-o-hazoor tera.

Bhaata nahin hai waaiz juz deed-e-haq mujhe kuch,
Tujhko rahe mubaarak hoor-o-qasoor tera.

Wahdat ke hai ye jalwe naqsh-e-nigaah kusrat,
Gar sirre-maarifat ko,paaye shaoor tera.

Gar harf-e-beniyazi sarzad 'Niyaz' se ho,
Putley mein khaak ke hai,Pyaare guroor tera.



English Transaltion:


Whole universe is filled with your light,
Moon and marine life are all your manifestation.

One who is aware of the secrets of Muhammad(S.A.W.),knows
You are the light of every spark,every stone belongs to you.

Every eye is watching only your face,O Beloved!
I find every ear filled with roar of your manifestation.

The heart is filled with the thought that you are everything,
Then how can be your nearness and presence be far from the heart.

I do not like anything then the sight of the extreme truth, O preacher!
You can keep the virgin of paradise and sin for yourself.

The abundance of creation,is infact the manifestation of unity,
Only if one's wisdom can evolve to decipher the truth.

If the expression of Independence occurs from 'Niyaz',
O beloved ! It is only because this human being is filled with your pride.




3 comments:

  1. एक झलक कोई दिखा कर रह गया
    सारा आलम जगमगा कर रह गया
    दर्द भी ता देर दे पाया ना सा
    और जहन थोडा सा बटा कर रह गया
    जिक्र मेरा और तखातुव गैर से
    अपने होटो को चबा कर रह गया
    बक्ते अखिर तुम जो पूंछो तो बताऊ
    लब पे किसका नाम आकर रह गया
    कुबते बरदाश्त को सद आफरी
    चर्ख भी जोर आजमा कर रह गया
    एक गजल उन पर कही थी ये नसीर
    पड ना पाया गुनगुना कर रह गया

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  2. एक बुत मेरा नामे खुदा हो गया

    जो कभी मैने सोचा ना था हो गया

    चेहरा ए कल्ब पर था गुबारे गुमा

    दर्द ने दी जिला आईना हो गया

    जब तस्सबुर मे बंद अपनी आंखे हुई

    आमदो रफ्त का सिलसिला हो गया

    क्या करु आप ही मशवरा दे मुझे

    सुन रहा हू कोई बेवफा हो गया

    सामने हैपिया और मे हेरत जदा

    ऐ सखी कुछ बता मुझको क्या हो गया

    फैसले मे मिली मुझको राहे जुनू

    जब दिलो अक्ल का मशवरा हो गाया

    गर नसीर उसके रुख से नकाब उठ गयी

    ये समझना दिन हस्र का हो गाया

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  3. एक झलक कोई दिखा कर रह गया
    सारा आलम जगमगा कर रह गया
    दर्द भी ता देर दे पाया ना सा
    और जहन थोडा सा बटा कर रह गया
    जिक्र मेरा और तखातुव गैर से
    अपने होटो को चबा कर रह गया
    बक्ते अखिर तुम जो पूंछो तो बताऊ
    लब पे किसका नाम आकर रह गया
    कुबते बरदाश्त को सद आफरी
    चर्ख भी जोर आजमा कर रह गया
    एक गजल उन पर कही थी ये नसीर
    पड ना पाया गुनगुना कर रह गया

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